
YUVA सभी विद्यार्थियों को उपलब्ध मंच के रुपए विकसित हो ,यह विचार प्रमुख है अतः इसमें संयोजक का ही दायित्व रहे, अध्यक्ष /मंत्री /कार्यकारणी वाले तंत्र को नहीं अपनाया जाना चाहिए ।
इस आधार पर दिल्ली प्रांत में YUVA का तंत्र इस प्रकार है
प्रांत : संयोजक/ संयोजिका + सह-संयोजक/ संयोजिका
विभाग : संयोजक/ संयोजिका + सह संयोजक /सह संयोजिका
विश्वविद्यालय/ महाविद्यालय/ रिसर्च केंद्र : सयोजक /संयोजिका + टोली (विश्वविद्यालय/ महाविद्यालय की क्षमता आवश्यकता अनुरुप )
ध्यान रखने योग्य मुख्य बातें:
- टोली में मुख्य रूप से संयोजक एवं संयोजिका के साथ न्यूनतम 5 सह संयोजक/संयोजिका रखना उचित होगा जिसमे से चार सह संयोजक 4 प्रकार की गतिविधि (Academic, Cultural, Social,Sports) एवं 1 social media पर विशेष ध्यान दें।
- कार्य सुदृढ़ होने पर प्रत्येक परिसर इकाई में department अनुसार एवं उसके पश्चात course अनुसार और वर्ष अनुसार (प्रथम वर्ष, द्वितीय वर्ष, तृतीय वर्ष) उपरोक्त तंत्र को बढ़ाया जा सकता है।
- विशेष प्रकार की तकनीकी या व्यावसायिक शिक्षा देने वाले महाविद्यालयों/संस्थानों में YUVA के आयामों यथा NITI MANTHAN, MEDIA MANTHAN आदि के नाम से भी इसी प्रकार का तंत्र बनाया जा सकता है ।
- जिन महाविद्यालयों में Science, Commerce, Arts के विषयों के साथ mass communication या law आदि व्यावसायिक पाठ्यक्रम पढ़ाए जाते हैं उनमें YUVA के उपरोक्त तंत्र में आवश्कता अनुसार Niti manthan ,मीडिया मंथन या अन्य आयाम का दायित्व जोड़ा जा सकता है। सभी इकाइयों में Campus Chronicle का भी विषेश ध्यान देने वाला कार्यकर्ता रहे।